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लाशों का मांस नोचने वाले गिद्ध

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Jivan chakra.  हम कितनें मासूम हैं ! लॉक डाउन की खबर सुनते ही शराब की दुकानों पर टूट पड़ते हैं, 2 रुपये का नींबू 10 रुपये में बेचने लगते हैं।  30 रुपए का प्याज 100 रुपये में बेचने लगते हैं। 25 का परवल 80 में बेचने लगते हैं। मरीजों के लिए ऑक्सीजन की कमी सुनते हैं तो ऑक्सीजन की कालाबाजारी शुरू कर देते हैं,  हम मरीज को मात्र 20,30 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए 10 से 15 हजार किराया मांगने लगते हैं।  दम तोड़ते मरीजों की दुर्दशा देखते हैं तो रेमडेसिविर इंजेक्शन में पैरासिटामोल मिलाकर बेचने लगते हैं।  हम जब मरीजों पर जान की आफत देखते हैं तो लाखों का बिल बनाकर चूसना शुरू कर देते हैं। हम मरीजों के लिए जरूरी दवाओं के नाम जानते हैं फिर उनको स्टोर करना शुरू कर देते हैं। वास्तव में हम बहुत मासूम हैं ....या लाशों का मांस नोचने वाले गिद्ध .......

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"सोच के देखो. . .", को प्रतिलिपि पर पढ़ें : https://hindi.pratilipi.com/story/vE1IrMK2sccF?utm_source=android&utm_campaign=content_share भारतीय भाषाओमें अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और सुनें, बिलकुल निःशुल्क!

Understanding

Hearing, seeing and understanding each other, humanity from one end of the earth to the other now lives simultaneously, omnipresent like a god thanks to its own creative ability. And, thanks to its victory over space and time, it would now be splendidly united for all time, if it were not confused again and again by that fatal delusion which causes humankind to keep on destroying this grandiose unity and to destroy itself with the same resources which gave it power over the elements.

समझ और समाज

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इज़्ज़त और बेइज्जत में फ़र्क नजर और नज़ारों का हैं दिखाई दे बाजार में अपनी हैसियत से कम का कोई नज़रे मिलाना मुनासिब ना समझने वाले. अक्सर उन गरीब की बहन बेटी को बाजार में बड़े ही चाव ...

प्रजातन्त्र का तन्त्र-मंत्र

और इसी के साथ राजनीती के  योद्धाओ को अब आखिर कार कुछ समय के लिये आराम करने को मिल ही गया. . . चुनाव के घमासान में बीजेपी के असला - बारूद सरकार की योजनाओं की तरह मैदान में आते आते फु...

लेखक कैसे बने (नज़रिया )

में भूल जाता हूँ. तेरे वादे,  इरादे, जो किये थे तूने. . आधे-आधे. . ये पक्तिया अकेलेपन में. . . बिना आवाज के अक्सर बोली जाती हैं. . जब जान होने वाले अनजान हो जाते है. . . शायद गम को छुपा लेती ह...

मुखौटे युक्त समाज.

नाज़ुक से रिस्तो  मे. आये केसे  मोड है हर दिल मे बसा खामोश सा एक चोर है.. नींद सुख चेन सब तेरे हवाले है. निडर निश्छल निपूर्ण है तू. जो तू इन्हे संभाले. . खामोशीओ से बोलता है. .रिस्ते त...