प्रजातन्त्र का तन्त्र-मंत्र
और इसी के साथ राजनीती के योद्धाओ को अब आखिर कार कुछ समय के लिये आराम करने को मिल ही गया. . .
चुनाव के घमासान में बीजेपी के असला - बारूद
सरकार की योजनाओं की तरह मैदान में आते आते फुस्स हो गये और अब.
5 साल के लिये राजस्थान की राजनीती राष्ट्रीय पापु की अगवानी में चलाई जाये गी. . ..
गरीब के घर में अब वो फ्री के 500/1000 की लक्ष्मी अब शायद मई में होने वाले चुनव में फिर से आएगी. . . एक रात की खीर पूड़ी तब फिर से बडे चाव से खाई जाएगी. . .
और नेताजी सोचेंगे की देखो मेरी महनत रंग लाई हैं 500/1000 की लागत में अब 5 सालो तक गरीब के हिसे का गेहूं अनाज केरोसिन और ना जाने किया किया नेताजी हजम करने वाले हैं ये तो खुद नेता जी को भी पता नहीं हैं. .
पर गरीब चुप हैं क्यूकी उसको एक रात का राशन मिला था वोट देने से पहले. . . वो गरीब उस खीर और पूड़ी के निचे दबा हुवा हैं और दबा हुवा रहेगा अगली सरकार के आने तक. . .
किया कमाल की खीर पूड़ी हैं. . . एक बार खाने के लिये पुरे 5 साल का रासन दाव पर लगा दिया. . .
गलती किस की गलत कौन??.
. ये तो ना गरीब बता पायेगा और ना ही वो नेता जी...
चुनाव का अन्त तो बेसक आज हो गया अगले 5 साल तक के तमाम सपने अब पप्सा की उस सोना बनाने वाली मशीन की कोरी कल्पना के समान ख़्वाबों में आएंगे.
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