मुखौटे युक्त समाज.
नाज़ुक से रिस्तो मे. आये केसे मोड है
हर दिल मे बसा खामोश सा एक चोर है..
नींद सुख चेन सब तेरे हवाले है. निडर निश्छल निपूर्ण है तू. जो तू इन्हे संभाले.
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खामोशीओ से बोलता है. .रिस्ते तराजू तोलता . .
अमोल जिसका मोल है. . नाजुक से रिस्तो मे देखो आये कैसे मोड है. .
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बोलता कुछ और दिखाता कुछ और है.
छुपा के बात दिल की बताता कुछ और है..
अखंड इस समाज के खंड-खड़ मे ही चोर है
ये जो जोर से सुनाई देता. क्या अपनों कही सौर है..
अंधकार के बाद जो आता एक भोर है.
उस भोर की प्रतीक्षा करता ये अपना ही है.
या कोई और है..
मुस्कुरा के देखता ये जग का विधाता है
मानो इसको सब पता है क्यू हो रहा घन-घोर है..
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