मै कवि हूँ .. ख्वाब बेचता हूँ
मै कवि हु. . ख्वाब बेचता हूँ !
सपने बेचता हूँ, में अहसास बेचता हूँ .
जो लिखा है वो में बेबाक बेचता हूँ . .
निश्चित ही नहीं, अनिश्चित भी बेचता हूँ में. .
समाझ का अच्छा बुरा-बुरा हर अहसास बेचता हूँ में.
ममता, समता, और प्रियतमा का प्यार बेचता हूँ में.
मै कवि हु.. ख्वाब बेचता हूँ में.. ज़िम्मेदारीओ का बोझ बेचता हूँ मै .
बचपन को वो मासूम मुस्कान बेचता हूँ मै.
जो लिखा जो ना लिखा... जो सोचा वो ख्याल बेचता हूँ में. . . अपनी जमी,अपना आसमान बेचता हूँ मै
अपने खुदा से जुदा तेरे-मेरे नज़रीये की हर बात बेचता हूँ . मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे के सकून का अहसास बेचता हूँ मै ..
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